मध्यप्रदेश के टाइगर स्टेट का दर्जा खतरे में हैं. अकेले बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में पिछले डेढ़ महीने में 3 वयस्क, दो शावकों सहित 5 बाघों की मौत हो चुकी है. 11 महीने में ये आंकड़ा 9 का है. पूरे राज्य में 11 महीने में 25 बाघों की मौत हुई है.
मध्यप्रदेश में लगातार बाघों की मौत हो रही है, जिससे टाइगर स्टेट के तमगे पर खतरा मंडराने लगा है. मंगलवार को राज्य के वनमंत्री विजय शाह अचानक बांधवगढ़ पहुंचे और अफसरों के साथ बैठक की. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी इस मामले में बैठक करने वाले हैं, ताकि इसके पीछे की वजहों का पता लग सके.
मध्यप्रदेश के टाइगर स्टेट का दर्जा खतरे में हैं. अकेले बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में पिछले डेढ़ महीने में 3 वयस्क, दो शावकों सहित 5 बाघों की मौत हो चुकी है. 11 महीने में ये आंकड़ा 9 का है. पूरे राज्य में 11 महीने में 25 बाघों की मौत हुई है. बांधवगढ़ में ज्यादातर मामले संदेहास्पद हैं. अफसर कैमरे पर मानते नहीं लेकिन कई गांवों में शिकारियों की पहचान के पोस्टर लगे हैं.
वनमंत्री विजय शाह ने कहा कि ‘लगातार 2 महीने में 5-6 टाइगरों की मौत हुई है. खोजने का प्रयास करेंगे कि क्यों हुई? ताकि ऐसा दोबारा ना हो. कुछ रेंज अफसरों की शिकायत मिली थी उनपर भी कार्रवाई करेंगे.’
बता दें कि मध्यप्रदेश से टाइगर स्टेट का दर्जा 2010 में छिन गया था, तब राज्य में 257 बाघ थे. आज 526 बाघ हैं, दूसरा नंबर कर्नाटक का है जहां 524 बाघ हैं. अब फिर से राज्य टाइगर स्टेट के तमगे की दौड़ में हैं, इसलिए सरकार बाघों की मौत पर फिक्रमंद है.
विशेषज्ञ मानते हैं कि राज्य में 526 बाघों के लिए पर्याप्त जगह नहीं है, इसलिए कई बाघों की मौत टेरिटोरियल फाइट में हो जाती है. हालांकि, कई संदेस्हास्पद मामले बताते हैं कि मौत की वजह सिर्फ आपसी लड़ाई नहीं है, बल्कि शिकारियों पर ढीला शिकंजा भी है.