ब्राजील के एनविसा स्वास्थ्य नियामक ने रविवार को पहली दो कोरोना वायरस वैक्सीन को आपातकालीन स्वीकृति दे दी. ब्राजील विनाशकारी महामारी की दूसरी लहर के बीच बड़े पैमाने पर टीकाकरण अभियान शुरू करने की तैयारी कर रहा है. ब्राजील ने एस्ट्राज़ेनेका और ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी की कॉविशील्ड वैक्सीन के साथ-साथ चीन की कोरोनावैक वैक्सीन को अधिकृत किया है. एनविसा ने घोषणा की कि यह एक ऐसे राष्ट्र में उपयोग के लिए है जहां कोविड-19 से अब तक 209000 से अधिक मौतें हो चुकी हैं.
इस महीने की शुरुआत में ब्राजील ने कहा था कि चीनी वैक्सीन ने लोगों पर वायरस के प्रभाव को रोकने में 50 प्रतिशत असर दिखाया है. ऑक्सफोर्ड वैक्सीन को लेकर दिसंबर में प्रकाशित रिजल्ट में पाया गया कि यह उन वायलेंटियरों में 62 प्रतिशत प्रभावी रही जिनको दो पूर्ण डोज दिए गए. जिन्हें आधा डोज देने के बाद पूरा डोज दिया गया उनमें यह 90 प्रतिशत प्रभावी रही. लेकिन दोनों अमेरिकी दवा कंपनियों फाइजर और मॉडर्ना द्वारा विकसित वैक्सीनों के लिए बताई गई 90 प्रतिशत से अधिक प्रभावशीलता दावे से कम प्रतीत होती है.
ब्राजील में साओ पाउलो के गवर्नर जोआओ डोरिया और राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो के बीच कोरोनावैक और ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन को वलेकर राजनीतिक लड़ाई शुरू गई हैं. बोल्सोनारो ने बार-बार कोरोनावाक को बदनाम करने की कोशिश की और इसे “जोआओ डोरिया का चीनी टीका” बताया.
लेकिन ब्राजील की 212 मिलियन की आबादी के लिए पर्याप्त वैक्सीन सुरक्षित करने के लिए संघर्ष करने के बाद स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस महीने घोषणा की कि उसने वैक्सीन के 100 मिलियन डोज के लिए स्थानीय निर्माता ब्यूटान संस्थान के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं. इस बीच, ब्राजील भारत से एस्ट्राजेनेका वैक्सीन की 20 लाख डोज लेने की उम्मीद कर रहा है. सीरम इंस्टीट्यूट द्वारा इसका उत्पादन किया जाता है.