प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले महीने कोरोना वैक्सीन की एहतियातन डोज (Precautionary Dose) देने का ऐलान किया था. कोविड बूस्टर डोज (Covid Booster Dose) को आज से हेल्थ वर्कर्स और फ्रंटलाइन वर्कर्स के साथ गंभीर बीमारियों से ग्रस्त वरिष्ठ नागरिक भी ले सकते हैं. हालांकि पीएम मोदी ने इसे बूस्टर डोज न कहकर ‘प्रीकॉशन डोज’ का नाम दिया था. यह डोज ऐसे वक्त में दी जा रही है जब देश में ओमिक्रॉन के कारण कोरोना के मामले एक बार फिर तेजी से बढ़ रहे हैं. देश में 5.75 करोड़ लोगों को कोरोना वैक्सीन की बूस्टर डोज लगाई जाएगी. इनमें से एक करोड़ स्वास्थ्यकर्मी, दो करोड़ फ्रंटलाइन वर्कर्स के साथ 60 साल से अधिक उम्र के 2.75 करोड़ बुजुर्गों को भी वैक्सीन लगाई जानी है.
मामले से जुड़ी अहम जानकारियां :
- स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि एहतियाती वैक्सीन की डोज के लिए पंजीकरण की कोई आवश्यकता नहीं है, जो पात्र हैं वे सीधे अपॉइंटमेंट ले सकते हैं या किसी वैक्सीनेशन सेंटर में जा सकते हैं. सभी वयस्कों के लिए बूस्टर खुराक पर अभी तक कोई निर्णय नहीं हुआ है.
- हेल्थ और फ्रंटलाइन वर्कर्स के साथ ही 60 साल से अधिक आयु के लोग जिन्हें डायबिटीज, हाइपरटेंशन और पुरानी बीमारियों हैं, उनके पास भी अपने डॉक्टर की सलाह पर “एहतियाती खुराक” प्राप्त करने का विकल्प है.
- हालांकि, इसके लिए पात्र लोगों को कोविड वैक्सीन की दूसरी डोज लेने के 9 महीने बाद ही बूस्टर डोज दी जाएगी.
- तीसरी खुराक वही वैक्सीन होगी जो लोगों को उनकी पहली और दूसरी खुराक के लिए मिली है. केंद्र ने कहा है कि जो वैक्सीन पहले ली गई है, वही वैक्सीन बूस्टर डोज के तौर पर दी जाएगी.
- इसका मतलब है कि जिन लोगों को सीरम इंस्टीट्यूट की वैक्सीन कोविशील्ड की दो डोज मिली हैं, तो उन्हें उसी की तीसरी खुराक दी जाएगी, वहीं जिन लोगों को भारत बायोटेक की कोवैक्सीन लगाई गई है, उन्हें तीसरी डोज भी कोवैक्सीन की ही लगाई जाएगी.
- ओमिक्रॉन के खतरे को देखते हुए बूस्टर डोज की निरंतर मांग के बीच पिछले महीने ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने “एहतियाती डोज” की घोषणा की थी.
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 दिसंबर को कहा था, ”देश को सुरक्षित रखने में कोरोना योद्धाओं, स्वास्थ्यकर्मियों और फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं का बहुत बड़ा योगदान है. इसलिए एहतियातन सरकार ने निर्णय लिया है कि स्वास्थ्य हेल्थकेयर और फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं के लिए “एहतियाती खुराक” देना शुरू किया जाए.”
- कोरोना के मामले बढ़ने के साथ ही कई डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मी बीमारी के संपर्क में आ चुके हैं. इनमें से कई दूसरी बार संक्रमित हुए हैं. महानगरों में स्वास्थ्यकर्मियों के बीच संक्रमण विशेष रूप से अधिक रहा है.
- भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डॉ. बलराम भार्गव ने कहा, ” सभी कोविड टीके, चाहे वे भारत, इजराइल, अमेरिका, यूरोप, ब्रिटेन या चीन से हों, मुख्य रूप से संक्रमण को नहीं रोकते हैं. एहतियाती खुराक मुख्य रूप से संक्रमण की गंभीरता को कम करने, अस्पताल में भर्ती होने और मौत के खतरे को कम करता है.”
- ब्रिटेन में एक अध्ययन में पाया गया है कि वैक्सीन की एक तीसरी खुराक ओमिक्रॉन संक्रमण से अस्पताल में भर्ती होने से 88 प्रतिशत तक सुरक्षा प्रदान कर सकती है.