भारत और चीन में तनाव के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार की सुबह लद्दाख के लेह पहुंचे. यहां उन्होंने सीमा पर मौजूद जवानों से मुलाकात की और उनका हौसला अफजाई किया.
इस दौरान उन्होंने सैनिकों को संबोधित करते हुए कहा, ”आपका ये हौसला, शौर्य और मां भारती के मान-सम्मान की रक्षा के लिए आपका समर्पण अतुलनीय है. आपकी जीवटता भी जीवन में किसी से कम नहीं है. जिन कठिन परिस्थितियों में जिस ऊंचाई पर आप मां भारती की ढाल बनकर उसकी रक्षा, उसकी सेवा करते हैं, उसका मुकाबला पूरे विश्व में कोई नहीं कर सकता है. आपका साहस उस ऊंचाई से भी ऊंचा है, जहां, आप तैनात हैं. आपका निश्चय, उस घाटी से भी सख्त है, जिसको आप रोज अपने कदमों से नापते हैं.
प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्र कवि रामधारी सिंह दिनकर की लाइनें भी सुनाई. उन्होंने कहा, ”राष्ट्र कवि रामधारी सिंह दिनकर जी ने लिखा था कि-
जिनके सिंहनाद से सहमी
धरती रही अभी तक डोल,
कलम, आज उनकी जय बोल.
मैं आज अपनी वाणी से आपकी जय बोलता हूं…
उन्होंने अपने संबोधन में कहा, ”तो मैं आज मैं अपनी वाणी से आपकी जय बोलता हूं और आपका अभिनंदन करता हूं. मैं गलवान घाटी में शहीद हुए सैनिकों को आज पुनः श्रद्धांजलि देता हूं. उनके पराक्रम, उनके सिंहनाद से धरती अब भी, उनका जयकारा कर रही है. आज हर देशवासी का सिर, आपके सामने आदरपूर्वक नमन करता है. आज हर भारतीय की छाती आपकी वीरता और पराक्रम से फूली हुई है.”
पीएम मोदी ने कहा, ”14 कोर की जांबाजी के किस्से हर तरफ है. दुनिया ने आपका अदम्य साहस देखा है. आपकी शौर्य गाथाएं घर-घर में गूंज रही है. भारत के दुश्मनों ने आपकी फायर भी देखी है और आपकी फ्यूरी भी. आज लद्दाख के लोग हर स्तर पर चाहे वो सेना हो या सामान्य नागरिक के कर्तव्य हों, राष्ट्र को सशक्त करने के लिए अद्भुत योगदान दे रहें हैं.”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यह भी कहा, ”हमारे यहां कहा जाता है, वीर भोग्य वसुंधरा. यानी वीर अपने शस्त्र की ताकत से ही मातृभूमि की रक्षा करते हैं. ये धरती वीर भोग्या है. इसकी रक्षा-सुरक्षा को हमारा सामर्थ्य और संकल्प हिमालय जैसा ऊंचा है. ये सामर्थ्य और संकल्प में आज आपकी आंखों पर, चेहरे पर देख सकता हूं. आप उसी धरती के वीर हैं, जिसने हजारों वर्षों से अनेकों आक्रांताओं के हमलों और अत्याचारों का मुंहतोड़ जवाब दिया है. हम वो लोग हैं जो बांसुरीधारी कृष्ण की पूजा करते हैं, वहीं सुदर्शन चक्रधारी कृष्ण को भी अपना आदर्श मानते हैं.”
उन्होंने यह भी कहा, ”भारत आज जल, थल, नभ और अंतरिक्ष तक अगर अपनी ताकत बढ़ा रहा है, तो उसका लक्ष्य मानव कल्याण ही है. भारत आज आधुनिक अस्त्र शस्त्र का निर्माण कर रहा है, दुनिया की आधुनिक से आधुनिक तकनीक भारत की सेना के लिए ला रहें हैं, तो उसके पीछे की भावना भी यही है. विश्व युद्ध हो या फिर शांति की बात, जब भी जरुरत पड़ी है तो विश्व ने हमारे वीरों का पराक्रम भी देखा है और विश्व शांति के उनके प्रयासों को महसूस भी किया है.”
पीएम मोदी ने संबोधन में सैनिकों से कहा, ”जब मैं राष्ट्र रक्षा के किसी निर्णय के बार में सोचता हूं तो मैं सबसे पहले दो माताओं के बारे में सोचता हूं. पहली- हम सभी की भारत माता. दूसरी- वे वीर माताएं जिन्होंने आप जैसे पराक्रमी योद्धाओं को जन्म दिया है. मेरे निर्णय की कसौटी यही है.”
लद्दाख़ से पीएम ने यह भी कहा, ”विस्तारवाद का युग समाप्त हो चुका है. विस्तारवाद विश्व शांति एवं पूरी मानवता के लिए ख़तरा है. विस्तारवाद ने ही मानव जाति का विनाश किया. पूरी दुनिया विस्तारवाद के ख़िलाफ़ मन बना चुकी है. विकासवाद का समय है.”